★ मुख्यमंत्री की निगरानी में संभावित तीसरी लहर से जंग की तैयारी
★ राज्य भर में विकसित किए जा रहे हैं बच्चों के अनुकूल पेडियेट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (पीआईसीयू) लगाने का निर्देश.
★ ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमित मरीजों को उनके गांव के समीप बेहतर इलाज मुफ्त में मिले.
★ राज्य के सभी सदर अस्पतालों एवं कुछ सीएचसी में पीआईसीयू विकसित किए जा रहे हैं.
★ राज्य के सभी सदर अस्पतालों को शिशुओं की चिकित्सा के लिए वेंटिलेटर, बाल चिकित्सा वेंटिलेटर, बबल सीपीएपी, रेडिएंट वार्मर, ऑक्सीजन आपूर्ति सुविधा और अन्य आवश्यक उपकरणों से लैस किये जा रहे हैं।
“राज्य सरकार लोगों और बच्चों के लिए हरसंभव स्वास्थ्य सुविधा तैयार करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। तीसरी लहर की आशंका है। ऐसे में सरकार नई लहर के खिलाफ जंग लड़ने के लिए खुद को पहले से तैयार कर रही है। हमने दूसरी लहर के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी। दूसरी लहर हमारे लिए एक सबक थी, इसने हमें अपनी स्वास्थ्य सुविधाओं में खामियों को खोजने में मदद की। इस बार हम खुद को पहले से तैयार कर रहे हैं।”
हेमन्त सोरेन, मुख्यमंत्री, झारखण्ड।
रांची :
करोना की तीसरी लहर जिसमे कहा जा रहा है की बच्चों को काफी हद तक प्रभावित कर सकती है। इसको देखते हुवे मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन अपनी निगरानी में कोविड-19 की संभावित तीसरी लहर के खिलाफ जंग की तैयारी करवा रहे है। इसमें ये ध्यान रखा जा रहा है की सभी अस्पताल बच्चों के लिए आरामदायक वातावरण इसके लिए अलग-अलग तरह की चाइल्ड फ्रेंडली पेंटिंग की जा रही है ताकि बच्चो को घर जैसा माहोल मिल सके.
मुख्यमंत्री अस्पतालों में की जा रही व्यवस्थाओं का व्यक्तिगत रूप से निगरानी कर रहे हैं। अधिकारियों को जल्द से जल्द सरकारी अस्पतालों में बच्चों के अनुकूल पेडियेट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (पीआईसीयू) लगाने का निर्देश दे रखा है। डॉक्टरों, विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों को आशंका है कि तीसरी लहर बच्चों को काफी हद तक प्रभावित कर सकती है। इसे देखते हुए राज्य के सभी जिलों में बाल चिकित्सा गहन चिकित्सा इकाई की युद्धस्तर पर स्थापना की जा रही है। राज्य के सभी सदर अस्पतालों एवं कुछ सीएचसी में पीआईसीयू विकसित किए जा रहे हैं, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमित मरीजों को उनके गांव के समीप बेहतर इलाज मुफ्त में मिल सके। सभी जिलों में जनरल चाइल्ड वार्ड के अतिरिक्त डेडिकेटेड चाइल्ड वार्ड विकसित हो रहे है। शिशुओं की चिकित्सा के लिए वेंटिलेटर, बाल चिकित्सा वेंटिलेटर, बबल सीपीएपी, रेडिएंट वार्मर, ऑक्सीजन आपूर्ति सुविधा और अन्य आवश्यक उपकरणों से लैस किये जा रहे हैं।
बच्चों के अनुकूल वार्ड
बच्चों के लिए आरामदायक वातावरण बनाने के लिए बच्चों के अनुकूल वार्ड बनाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। पीआईसीयू वार्डों में अलग-अलग तरह की चाइल्ड फ्रेंडली पेंटिंग की जा रही है। पीआईसीयू वार्डों में उपयोग किए जाने वाले पर्दे, चादरें और कवर बच्चों के लिए आरामदायक वातावरण बनाने के लिए रंगीन और आकर्षक रूप से तैयार किये गये हैं। इसके अलावा, बच्चों के लिए तनाव मुक्त वातावरण हेतु टेलीविजन सेट लगाए जा रहे हैं। अस्पतालों के आंगन और वार्डों के गलियारे को बच्चों की चहलकदमी लायक बनाया जा रहा है। कई स्टोरी बुक और अन्य शिक्षण सामग्री के साथ बुकशेल्फ़ भी स्थापित किए जा रहे हैं। कोडरमा, रांची, धनबाद, जमशेदपुर, गुमला, लातेहार, गिरिडीह जैसे जिले पहले ही पीआईसीयू का काम पूरा कर चुके हैं, जबकि अन्य जिलों में पीआईसीयू का कार्य प्रगति पर है।
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यहां तैयार हुए बेड
रांची में 27 बेड का पीआईसीयू वार्ड पूरा हो गया है और कम से कम 40 और पीआईसीयू बेड का काम चल रहा है। पूर्वी सिंहभूम में 30 पीआईसीयू बेड के विकास का कार्य प्रगति पर है। कोडरमा जिले में 20 बेड की पीआईसीयू सुविधा पूरी हो चुकी है। गिरिडीह और हजारीबाग जिले के विभिन्न सीएचसी और सदर अस्पताल में 130 बिस्तरों वाला सुविधायुक्त बाल वार्ड विकसित हो रहा है। धनबाद और खूंटी में 70 से अधिक पीआईसीयू बेड का काम पूरा होने के करीब है।
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